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बच्चों को शो का हिस्सा बनाने के लिए करना होगा इन गाइडलाइंस का पालन

गाइडलाइन के अनुसार तीन महीने से कम उम्र के बच्चे को स्तनपान और टीकाकरण के प्रचार कार्यक्रमों के अलावा किसी भी शो में भागीदारी की अनुमति नहीं दी जाएगी। इसके साथ ही बाल कलाकारों को ऐसे शो का हिस्सा नहीं बनाया जाएगा, जो उन्हें उपहास, शर्मिंदा या परेशान करता हो। किसी भी बच्चे का बंधुआ मजदूरी प्रणाली अधिनियम, 1976 के तहत एग्रीमेंट नहीं बनाया जाएगा, जिसके आधार पर बच्चे को कोई काम करने की आवश्यकता होती है। इसके साथ ही बच्चा एग्रीमेंट को खत्म करने या किसी अन्य एग्रीमेंट में प्रवेश करने में असमर्थ होता है।
माता-पिता की सहमति जरूरी : गाइडलाइन स्टेकहोल्डर की प्रतिक्रिया के लिए NCPCR की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं, जिन्हें मनोरंजन उद्योग के प्रमुख लोगों की समिति के परामर्श से तैयार किया गया था। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि प्रोडक्शन में बच्चों के लिए वातावरण सुरक्षित हो। सभी प्रोडक्शन वालों को इन गाइडलाइन का पालन करना होगा, जिनमें सामान्य सिद्धांत, माता-पिता की सहमति, बच्चों के लिए स्टाफ प्रोटोकॉल और बाल संरक्षण नीति शामिल हैं।
फिटनेस प्रमाण पत्र देना होगा : नाबालिग विशेष रूप से छह साल से कम उम्र के बच्चों को हानिकारक कॉस्मेटिक और लाइटिंग के संपर्क में नहीं आने देना है। इसके साथ ही उनके साथ शूटिंग करने वाले लोगों को शूटिंग से पहले फिटनेस प्रमाण पत्र देना होगा कि उन्हें कोई संक्रामक रोग नहीं है। वहीं, इन कर्मचारियों का पुलिस सत्यापन भी किया जाएगा। किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 77 के तहत बच्चों को शराब, धूम्रपान या किसी अन्य पदार्थ का सेवन करते हुए नहीं दिखाया जाएगा। वहीं, बच्चों को जिलाधिकारी के पास अपना नाम दर्ज कराना होगा।
हर तीन घंटे में देना होगा ब्रेक : बाल शोषण के शिकार लोगों पर आधारित कार्यक्रमों में कंटेंट को संवेदनशील तरीके से दिखाना होगा। निर्माता ही बच्चों के खाने-पीने की व्यवस्था के जिम्मेदार होंगे। साथ ही बच्चों के ड्रेसिंग रूम भी अलग होने चाहिए, वे किसी बड़े के साथ रूम शेयर नहीं करेंगे। निर्माता ही बच्चे की शिक्षा की व्यवस्था का उत्तरदायी होंगे और कोई भी असाइनमेंट 27 दिनों से अधिक नहीं बढ़ाया जा सकता है। बच्चों को हर तीन घंटे में ब्रेक देना होगा और कोई भी बच्चा छह घंटे से ज्यादा या शाम 7 बजे से सुबह 8 बजे के बीच काम नहीं करेगा। किसी भी विज्ञापन में बच्चों का उपहास नहीं होना चाहिए या उन्हें हीन महसूस नहीं कराया जाना चाहिए।


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