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औद्योगिक निवेश क्षेत्र के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू,  अधिकांश किसान तैयार

भोपाल । पिछले दिनों शिवराज कैबिनेट ने इंदौर-पीथमपुर निवेश क्षेत्र में लैंड पुलिंग केे तहत निजी जमीनों के अधिग्रहण के फार्मूले को मंजूरी दी, जिसमें 80 फीसदी जमीन भूखंड के रूप में वापस किसानों को लौटाने और 20 फीसदी नकद मुआवजा देकर लेने का निर्णय लिया गया, जिसके चलते 153 करोड़ रुपए का मुआवजा 250 किसानों को बांटना तय किया और अभी शुरुआत में 20 करोड़ रुपए की राशि शासन ने एमपीएसआईडीसी को सौंपी है। अधिकांश किसान जमीनों की रजिस्ट्रियां करवाने को भी तैयार हो गए हैं। उल्लेखनीय है कि निवेश क्षेत्र में साढ़े 12 हजार हेक्टेयर यानी लगभग 32 हजार एकड़ जमीन शामिल की गई है। इसमें सरकारी के अलावा अधिकांश निजी जमीनें हैं।
जिस तरह इंदौर विकास प्राधिकरण ने अपनी टीपीएस के तहत घोषित की गई योजनाओं में लैंड पुलिंग का  फार्मूला अपनाया है, क्योंकि अब इसी पॉलिसी के तहत निजी जमीनों का अधिग्रहण किया जा रहा है। प्राधिकरण द्वारा 50 फीसदी जमीन उसके मालिक को वापस लौटा दी जाती है, वहीं एमपीएसआईडीसी औद्योगिक क्षेत्रों के लिए जो निजी जमीन दे रहा है, उसमें 80 प्लस 20 का फार्मूला अपनाया जा रहा है, जिसे पिछले दिनों कैबिनेट ने भी मंजूरी दी और लगभग 500 किसानों से जमीनें इसी फार्मूले के तहत ली जाएगी। इंदौर-पीथमपुर निवेश क्षेत्र में शामिल कुछ जमीनों के अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी भी हो गई है और कुछ समय पूर्व 121 किसानों को 20 प्रतिशत नकद मुआवजे की राशि के चैक, जो कि 95 करोड़ रुपए के थे, सौंपे भी गए। अब 153 करोड़ रुपए का और मुआवजा अन्य 250 किसानों को दिया जाना है, जिसकी भी प्रक्रिया एमपीएसआईडीसी ने शुरू कर दी है। हालांकि अभी चुनाव के चलते इस कार्य में भी विलंब हो रहा है, क्योंकि अधिकांश अधिकारियों-कर्मचारियों की चुनाव में ड्यूटी लगी है। एमपीएसआईडीसी के एमडी रोहन सक्सेना के मुताबिक 153 करोड़ रुपए की मुआवजा राशि शासन से मिलना है, जिसमें से अभी 20 करोड़ रुपए की राशि एमपीएसआईडीसी के खाते में ट्रांसफर कर दी गई है और कई किसानों ने रजिस्ट्रियां करवाने पर भी सहमति दे दी हैं। अगले कुछ ही दिनों में इन किसानों की रजिस्ट्रियां एमपीएसआईडीसी के पक्ष में करवा ली जाएगी। दूसरी तरफ इंदौर-पीथमपुर इकोनॉमिक कॉरिडोर को भी शासन ने मंजूरी दे दी और इसका नोटिफिकेशन भी पिछले दिनों हो गया। 19.6 किलोमीटर लम्बे इस कॉरिडोर में दोनों तरफ 300-300 मीटर निजी जमीनों का अधिग्रहण किया जा रहा है और 75 मीटर चौड़ी 8 लेन की सुपर कॉरिडोर की तरह ही सीमेंट कांक्रीट की सड़क बनेगी, जिसके चलते मात्र 15 मिनट में इंदौर एयरपोर्ट से पीथमपुर पहुंचा जा सकेगा, तो दूसरी तरफ इंदौर-अहमदाबाद और आगरा-मुंबई हाईवे भी जुड़ जाएंगे। इसमें भी 1400 करोड़ रुपए की राशि कॉरिडोर को विकसित करने पर खर्च होगी, जिसमें से लगभग 500 करोड़ रुपए की राशि भू-अर्जन पर खर्च की जाएगी और इसमें भी 80 प्लस 20 का ही फार्मूला रहेगा। 337 मीटर से बाहर की जमीनों को एनओसी देने की प्रक्रिया भी एमपीएसआईडीसी द्वारा शुरू की जाएगी। अभी कॉरिडोर में शामिल जमीनों पर एनओसी नहीं दी जा रही है। पूर्व में दोनों तरफ 500-500 मीटर तक जमीन लेने का प्रस्ताव था, जिसे बाद में घटाकर 300 मीटर किया गया और अब 337 मीटर के बाहर आने वाली निजी जमीनों को निजी विकास के लिए एनओसी दे दी जाएगी, ताकि वे टाउनशिप या अन्य प्रोजेक्टों को अमल में ला सकें। इस इकोनॉमिक कॉरिडोर में फिन्टेक सिटी, जिसमें स्टॉक एक्सचेंज सहित वित्तीय संस्थाओं को बुलाया जाएगा, तो डाटा सेंटर, जानी-मानी आईटी कम्पनियों के सेंटर स्थापित करने के अलावा एरो सिटी की गतिविधियां भी रहेंगी। पिछले दिनों प्रदेश सरकार ने यह भी दावा किया था कि फेसबुक, अमेजॉन, फ्लिपकार्ड सहित 22 बड़ी कम्पनियों ने इंदौर में अपनी कम्पनियां खोले जाने की इच्छा जाहिर की है।


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